पटना। राष्ट्रीय जनता दल के बाद अब जनता दल यूनाइटेड भी ओबीसी के अन्तर्गत जातियों के लिए नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में कोटा बढ़ाने की मांग का समर्थन किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने आज कहा कि संख्या बढ़ाने की मांग सही है और मुझे इस मांग पर कोई ऐतराज़ नहीं है। लेकिन उन्होंने अपने इस मांग को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए अगली जनगणना जातिगत आधार पर करने की मांग भी की।
उन्होंने कहा कि 1931 के बाद देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है, इसलिए किस जाति की कितनी संख्या है और क्या सामाजिक हालत है वो जातिगत जनगणना से ही पता चल सकता है और एक बार ये जातिगत जनगणना का डेटा आ जायेगा तो आबादी के अनुरूप आरक्षण पर विचार किया जा सकता है।
नीतीश ने इस बात को दोहराया कि जाति के आबादी के अनुरूप अगर आरक्षण हो जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं लेकिन उन्होंने माना कि फ़िलहाल सर्वोच्च न्यायालय के उस फ़ैसले के कारण जिसमें आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है उसके बाद अभी भी भारी कठिनाई है।
मुख्यमंत्री के इस रुख़ से साफ़ है कि जहां एक ओर वो ऊंची जाति के लिए हाल में किए गए 10 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान का समर्थन कर रहे हैं लेकिन साथ ही साथ इस मुद्दे पर आरजेडी ने जो अपना स्टैंड लिया है उससे भी वो कहीं पीछे नहीं रहना चाहते और भविष्य में इस मुद्दे पर किसी भी संभावित आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों के आक्रोश का सामना करने से पहले उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया है।
जहां तक हाल ही में सवर्ण जातियों के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का सवाल है तो उसे बिहार में लागू करने के लिए नीतीश कुमार ने कहा कि जल्द इस संबंध में आदेश पास किया जाएगा। फ़िलहाल ये जानने की कोशिश हो रही है कि क्या इसे एक्ट के द्वारा लागू किया जाए या किसी एक्सक्यूटिव आदेश से।