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बिहार
एनडीए से बगावत उपेंद्र कुशवाहा को पड़ा महंगा, दोनों विधायक-एमएलसी हुए अलग
By Deshwani | Publish Date: 15/12/2018 1:36:00 PM
एनडीए से बगावत उपेंद्र कुशवाहा को पड़ा महंगा, दोनों विधायक-एमएलसी हुए अलग

पटना। सीट के बंटवारे पर एनडीए से बगावत करना पूर्व मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को महंगा पड़ गया है। उनके इस फैसले से रालोसपा टूट गई है। बिहार में पार्टी के दो विधायक और एक एमएलसी हैं। शनिवार को रालोसपा के दोनों विधायक सुधांशु शेखर और ललन पासवान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उपेंद्र कुशवाहा से दूरी बनाते हुए एनडीए के साथ रहने की घोषणा की है। विधायकों के साथ रालोसपा के एक एमएलसी संजीव श्याम ने भी एनडीए में रहने का फैसला किया है। विधायकों ने पार्टी पर भी दावा किया। उन्होंने कहा कि असली रालोसपा उनके साथ हैं।

 
एमएलसी संजीव श्याम ने कहा कि विधानमंडल में पार्टी के तीन ही सदस्य हैं। हम तीनों साथ हैं और एनडीए में हैं। उपेंद्र कुशवाहा व्यक्तिवादी राजनीति करते हैं। उन्होंने व्यक्तिगत कारण से एनडीए से अलग होने का फैसला किया। हम लोग पार्टी के सिंबल और ऑफिस पर दावा करते हैं और जरूरत पड़ी तो इसके लिए चुनाव आयोग जाएंगे।
 
संजीव ने कहा कि रालोसपा एनडीए में है। बिहार सरकार में उसे हिस्सेदारी नहीं मिली। इसके चलते हमारे कार्यकर्ताओं में निराशा है। मैं अपने और ललन पासवान के लिए मंत्री पद नहीं मांगता। हमारे साथी सुधांशु शेखर को मंत्री बनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही आयोग और समितियों में भी हमें जगह मिलनी चाहिए।
 
ज्ञात हो कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा 2014 में हुए आम चुनाव के पहले से एनडीए का हिस्सा थी। पिछले आम चुनाव में पार्टी को तीन सीट पर जीत मिली थी। जदयू के एनडीए में शामिल होने के चलते सीट शेयरिंग का मुद्दा गंभीर हो गया। जदयू और बीजेपी ने समान सीट पर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया। कुशवाहा ने अपनी पार्टी के लिए कम से कम तीन सीट की मांग की, लेकिन मांग पूरी न होते देख वह एनडीए से अलग हो गए।
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