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बिहार
संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा में छठा दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा-संस्कृत भाषा की समग्र उन्नति के लिए सार्थक प्रयास की जरूरत
By Deshwani | Publish Date: 20/11/2018 8:40:59 PM
संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा में छठा दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने कहा-संस्कृत भाषा की समग्र उन्नति के लिए सार्थक प्रयास की जरूरत

दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल। फोटो- देशवणी।

दरभंगा। देवेन्द्र कुमार ठाकुर।
 
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित छठे दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति लालजी टण्डन ने साफ शब्दों में कहा कि वर्तमान समय मे भी संस्कृत शिक्षा नितांत आवश्यकता है। आदिकाल से ही चारित्रिक शिक्षा, शांति,सद्भाव व विश्वबन्धुत्व का पाठ संस्कृत विश्व को पढ़ाती रही है। वेदों, उपनिषदों, पुराणों एवम धर्मशास्त्रों में उल्लेखित मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य के इन आदर्श वाक्यों का समावेश प्रारम्भिक कक्षाओं के पाठ्य ग्रन्थों में होना चाहिए। ताकि बालकों को नैतिक शिक्षा शुरू से ही मिल सके। इतना ही नहीं, भारत बर्ष की विश्व प्रसिद्ध सभ्यता, संस्कृति के अलावे यहां के जीवन मूल्य व आदर्श देववाणी संस्कृत में ही समाहित है। विश्व में मात्र यही एक भाषा है जो सभी प्राणियों के सुख, आरोग्य एवं कल्याण की कामना करती है। राज्यपाल श्री टण्डन ने कहा कि संस्कृत के ज्ञान के अभाव में हम न तो भारतीय सांस्कृतिक संवृद्धि और विपुल ज्ञान सम्पदा से परिचित हो पाएंगे और न ही अपने राष्ट्र की बहुलता व एकात्मकता को ही सुरक्षित रख पाएंगे।
 
 

 संस्कृत की दुलर्भ पाण्डुलिपियों का डिजिटलाइजेशन जरूरी-

उन्होने कहा कि दुनिया के अनेक भाषा विदों ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि आधुनिक तकनीकी विकास के युग में तथा कम्प्यूटर के दृष्टिकोण से भी संस्कृत सर्वाधिक उपयुक्त भाषा है। भाषावाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद व जातिवाद जैसे नकारात्मक विचारों को चुनौती देने तथा राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए संस्कृत भाषा की समग्र उन्नति के सार्थक प्रयास किये जाएं।
उन्होंने आगाह किया कि समय रहते संस्कृत में दुर्लभ पाण्डुलियों का संरक्षण व डिजिटलाइजेशन जरूरी है। हमें तकनीकी विकास का लाभ उठाकर प्राचीन गौरवशाली व दुर्लभ कृतियों को संरक्षित कर लेना चाहिए।
 
 
उन्होंने माहाराजाधिराज सर कामेश्वर सिंह के प्रति भी आभार व्यक्त किया। उम्मीद जताई कि जिस आशा व भरोसा से उन्होंने इस संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की थी उसमें यह एकदम खरा उतरेगा। उन्होंने समारोह में उपाधि व मेडल प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए उम्मीद जताई कि वे अब समाज व देश को नया सांस्कृतिक दिशा प्रदान करेंगे।
 
 
इस अवसर पर अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नन्दन प्रसाद वर्मा  कहा कि संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के लिए यहां छात्र-छात्राओं अभिभावकों शिक्षक एवं शिक्षाकर्मियों को संकल्प लेने की जरूरत है सरकार संसाधन की कमी नही होने देगी। उन्होने कहा कि षिक्षा आज लोगे की जरूरत बन गयी है। षिक्षा के माध्यम से ही लोग अपने अनुभवी और अपने परिवार को आगे बढ़ाते है।
 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में कालीदास विवि के कुलपति श्री निवास वरखेरी ने कहा कि संस्कृत भाषा देश की सबसे पुरानी व समृद्ध भाषा है। जरूरत है कि इसे संरक्षित करने की। इस अवसर पर आये अतिथियों का स्वागत करते हुए कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि के कुलपति डॉं सर्व नारायण झा ने कहा कि विवि के उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि विवि के निकले छात्र-छात्राओं ने देष ही नही विदेषों में योग्यता का परचम फैलाया है। इस अवसर पर लनामिविवि के कुलपति प्रों सुरेन्द्र कुमार सिंह, नगर विधायक संजय सरागवगी, विधान पाषर्द दिलीप चौधरी, दननि के मेंयर वैजयन्ति व देवी खेडिया उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन कुल सचिव कर्नल नवीन कुमार ने किया।  
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