न्यूयॉर्क, (हि.स.)। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में पांचवें जज के रूप में भारत के दलवीर भंडारी आखिरकार सोमवार को दूसरी बार निर्वाचित हो गए है। हालंकि ब्रिटेन के नामित उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीन वुड उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे थे, लेकिन ब्रिटेन ने अंतिम समय में उनका नाम वापस ले लिया। यह जानकारी मंगलवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
समाचार एजेंसी रॉयटर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भंडारी को 193 में से 183 वोट मिले, जबकि सुरक्षा परिषद् में सभी 15 वोट भारत के पक्ष में पड़े।
विदित हो कि महासभा में भंडारी को मिल रहे व्यापक समर्थन के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय अदालत की इस बेहद कठिन दौर से ब्रिटेन को अपने उम्मीदार का नाम वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा। आइसीजे के पांच में से चार जजों के चुनाव के बाद पांचवें जज के चुनाव के लिए कांटे की टक्कर थी। इस चुनाव के लिए न्यूयॉर्क स्थित संगठन के मुख्यालय में अलग से मतदान करवाया गया।
ऐसा माना जा रहा था कि सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन, ब्रिटेन के प्रत्याशी ग्रीनवुड के पक्ष में हैं। गौरतलब है कि ब्रिटेन सुरक्षा परिषद का पांचवा स्थायी सदस्य है। बावजूद इसके अन्य देशों की ओर से भारत को जबर्दस्त समर्थन हासिल हुआ।
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के स्थायी प्रतिनिधि मैथ्यू रिक्रोफ्ट ने 12वें चरण के मतदान से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद् के अध्यक्षों को एक पत्र लिखा। उक्त पत्र दोनों के अध्यक्षों के सामने पढ़े गए। पत्र में रिक्रोफ्ट ने कहा कि उनके प्रत्याशी जज क्रिस्टोफर ग्रीनवुड ने 15 सदस्यीय आईसीजे से अपना नाम वापस लेने का फैसला किया है। वह और भंडारी आईसीजे में 9 वर्ष के कार्यकाल के लिए आमने-सामने थे।
मतदान के पहले 11 दौर में भंडारी को महासभा में करीब दो तिहाई मत मिले थे, जबकि ग्रीनवुड को सुरक्षा परिषद् में लगातार नौ वोट मिल रहे थे। इसके बाद ही दोनों पक्षों के बीच यह समझौता हुआ है।
जज दलवीर भंडारी की जीत पर उन्हें बधाई देते हुए ब्रिटेन ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मंचों पर भारत के साथ अपना करीबी सहयोग जारी रखेगा। वैसे अंतरराष्ट्रीय अदालत के 71 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि उसकी पीठ में एक भी ब्रिटिश जज नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने भंडारी की जीत को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह जीत दुनिया में भारत की छवि को दर्शाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह उनके देश के राजनीतिक नेतृत्व और विदेश नीति की मजबूती की निशानी है।